Saturday, July 27, 2013

अयं निज परोवेति
गणना लघु चेत्साम्र |
उदार चरिताना तु
वसुधैव कुतुम्बक्म्र ||

 

वेद वाक्य है - " यह मेरा है वह तेरा है , यह सोच तंगदिली लोगों की है | बड़े दिल वालों के लिए तो यह सारी धरती एक परिवार के समान है |"

ब्राहण वादी विचारधारा ने इस वेदवाक्य की उपेक्षित कर वर्णव्यवस्था कायम कर एक ही परिवार के लोगों के अन्दर जात - पात , ऊँच - नीच , भेद भाव के बीच बो दिए , जिसका ही यह परिणाम निकला कि एक ब्राहण जाति का व्यक्ति सर्वोच्च , सम्मानीय तथा शूद्र जाति का व्यक्ति , अस्पृश्य , अछूत , नीच , अधम |

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