Monday, July 29, 2013

अष्टादश पुराणेषु 
व्यासस्य वचनं द्वियम्र 
परोपकाराय पुण्याय 
पापाय : परपीड़नम्र 

वेद व्यास का कथन है कि अठारह पुराणों में दो बातें प्रमुख है - परोपकार करने से पुण्य मिलता है और दूसरों के मन को  पीड़ा पहुचाने से पाप लगता है 
पुण्य व पाप में विश्वास रखने वाले हिन्दू धर्म के लोगों ने क्या कभी सोचा है की शूद्र लोग भी इंसान है और उनके साथ समता का व्यवहार करते हुए परोपकार करके पुण्य कमाना चाहिए , न कि उन पर उनका उत्पीड़न कर पाप कमाना चाहिए 
इस डबल मानसिकता के लिए कौन दोशी है ?

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